“अपने हसीन होंठों को..
किसी परदे में छुपा लिया करो,
हम गुस्ताख लोग हैं,
नज़रों से चूम लिया करते है”
हमें आदत नहीं हर एक पे मर मिटने की,
तुझे में बात ही कुछ ऐसी थी
दिल ने सोचने की मोहलत ना दी |
हमें सीने से लगाकर
हमारी सारी कसक दूर कर दो,
हम सिर्फ तुम्हारे हो जाऐ
हमें इतना मजबूर कर दो।
तु मिल गई है
तो मुझ पे नाराज है खुदा,
कहता है की तु
अब कुछ माँगता नहीं है |
ख्वाहिशों का आदी दिल
काश ये समझ सकता,
कि साँस टूट जाती है
इक आस टूट जाने से।
मेरे होंठो पर लफ्ज़ भी ..
अब तेरी तलब लेकर आते हैं,
तेरे जिक्र से महकते हैं ..
तेरे सजदे में बिखर जाते हैं।
क्या चाहूँ रब से तुम्हें पाने के बाद,
किसका करूँ इंतज़ार तेरे आने के बाद,
क्यों मोहब्बत में जान लुटा देते हैं लोग,
मैंने भी यह जाना इश्क़ करने के बाद |
बदल जाओ वक्त के साथ
या फिर वक्त बदलना सीखो
मजबूरियों को मत कोसो
हर हाल में चलना सीखो |
मुझे कुछ भी नहीं कहना..
इतनी सी गुजारिश है,
बस उतनी बार मिल जाओ..
जितना याद आते हो।
*दिसंबर है जनाब*
*दि*– *दिलों का*
*सं*– *संगम*
*ब*– *बरकरार*
*र*– *रहे*
💕💕💕💕💕